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नारी व्यथा

The Hope
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नारी व्यथा

नारी व्यथा

यु तो जगज़ननी कह्लाये नारी
पर मान कभी ना पाये नारी
हर पल हर दिन जुल्म सहे
है बहुत अभागिन बेचारी
पैदा होने से पह्ले ही
घुट जाती है साँसे इसकी
अगर भुल से पैदा हो जाये
दहेज कि बलि है चढ़ती
रावण काल मे तो थी त्रिजटाये
जिसने बचाई नारी लाज
पर आज नारी अपनी व्यथा किसे सुनाये
जाने क़यो बदल ग़या नारी मन
अाज नारी ही बन ग़ई नारी की दुश्मन्।

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